आज हम वेदांतरस के माध्यम से देखेंगे की प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने संत सूरदास जी सहायता की।
एक बार महान संत सूरदास जी को किसी व्यक्ति ने भजन के लिए निमंत्रण भेजा. संत सूरदास जी उसके यहाँ भजन कार्यक्रम में सम्मिलित होने गए लेकिन भजन कार्यक्रम जब समाप्त हुआ उसके बाद संत सूरदास को घर तक पहुंचने की बात वह व्यक्ति भूल गया और किसी अन्य काम में व्यस्त हो गया।
सूरदास जी उस व्यक्ति को कोई तकलीफ नहीं देना चाहते थे इसीलिए वो अपना लाठी लेकर ,"गोविंद–गोविंद" करते हुये अंधेरी रात में पैदल घर की ओर निकल पड़े । रास्ते में एक कुआं पड़ता था । वे लाठी से टटोलते–टटोलते भगवान का नाम लेते हुये बढ़ रहे थे और उनके पांव और कुएं के बीच मात्र कुछ इंच की दूरी रह गई थी कि.....उन्हे लगा कि किसी ने उनकी लाठी पकड़ ली है,
तब उन्होने पूछा -" तुम कौन हो ?" उत्तर मिला – "बाबा, मैं एक बालक हूँ । मैं भी आपका भजन सुन कर लौट रहा हूँ । देखा कि आप गलत रास्ते जा रहे हैं, इसलिए मैं इधर आ गया । चलिये, आपको घर तक छोड़ दूँ...!"
यह बात सुनकर संत सूरदास जी उस व्यक्ति से उसके परिचय पूछते हुए कहा कि- "तुम कौन हो ? नाम क्या है तुम्हारा बेटा ?"
"बाबा, अभी तक माँ ने मेरा नाम नहीं रखा है।‘’
"तब मैं तुम्हें किस नाम से पुकारूँ ?"
"कोई भी नाम चलेगा बाबा...!"
सूरदास ने रास्ते में और कई सवाल पूछे। उन्हें लगा कि हो न हो, यह कन्हैया ही है! वे समझ गए कि आज गोपाल खुद मेरे पास आए हैं । क्यों नहीं मैं इनका हाथ पकड़ लूँ ?यह सोच उन्होंने अपना हाथ उस लकड़ी पर कृष्ण की ओर बढ़ाने लगे। भगवान कृष्ण उनकी यह चाल समझ गए । सूरदास का हाथ धीरे–धीरे आगे बढ़ रहा था। जब केवल चार अंगुल अंतर रह गया, तब श्री कृष्ण लाठी को छोड़ दूर चले गए । जैसे उन्होने लाठी छोड़ी, सूरदास विह्वल हो गए, आंखो से अश्रुधारा बह निकली ।
बोले - "मैं अंधा हूँ ,ऐसे अंधे की लाठी छोड़ कर चले जाना क्या कन्हैया तुम्हारी बहादुरी है ?"
और.. उनके श्रीमुख से वेदना के यह स्वर निकल पड़े
“हाथ छुड़ाये जात हो, निर्बल जानि के मोय ।
हृदय से जब जाओगे, तो सबल जानूँगा तोय ।।"
मुझे निर्बल जानकार मेरा हाथ छुड़ा कर जाते हो, पर मेरे हृदय से जाओ तो मैं तुम्हें मर्द कहूँ ।
तब भगवान कृष्ण ने कहा कि हे बाबा जी अगर मैं आप जैसे दिव्य भक्तों के हृदय से चला जाऊंगा तो मैं कहा रहूँगा मेरा ठिकाना कहा रहेगा ??" ऐसा कहते हुए श्री कृष्ण की आंखों में अश्रु बहने लगे।