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 श्री कृष्ण की रोचक कहानी || Shri Krishna Story

श्री कृष्ण की रोचक कहानी || Shri Krishna Story

वेदांतरस की माध्यम से आज हम देखेंगे की भगवान श्री कृष्ण ने किस तरह नन्द बाबा से ज़िद करके गाय चराने के लिए मना लिया। जब भगवान श्रीकृष्ण जी 6 वर्ष के हो गए तो उन्होंने सोचा की वो तो बड़े हो गए है और वो अब बछड़ा नहीं गाय चरायेंगे। ये सोच कर भगवान श्री कृष्ण मैया यशोदा के पास गए और मैया से कहा की मैया अब तो मैं बड़ा हो गया हूँ। मैया ने तब कहा अच्छा लल्ला तुम बड़े हो गए हो? तो बताओ अब किया जाए। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने कहा की मैया अब मैं बड़ा हो गया हूँ तो अब से मैं बछड़ा नहीं चराऊँगा, अब से मैं गायों को चराऊँगा। अपने लल्ला श्री कृष्ण के इस प्यारी सी बात को सुनकर हंस पड़ी और फिर मैया यशोदा ने कहा की ठीक है चरा लेना तुम गायों को लेकिन एक बार अपने बाबा से पूछ लेना।

भगवान श्री कृष्ण ने तुरंत बिन कुछ सोचे नन्द बाबा के पास पहुंच जाते है तो उनसे कहते है की बाबा अब से मैं बछड़ा नहीं गायों को चराऊँगा। तब नन्द बाबा ने कृष्ण को समझाते हुए कहा की देखो लल्ला तुम अभी बहुत छोटे हो, इसलिए तुम अभी बछड़े ही चराओ। लेकिन भगवान श्री कृष्ण अपनी ही बात पर अड़ गए थे और उन्होंने कहा की नहीं बाबा मैं अब बड़ा हो गया हूँ और मैं अब गाय ही चराऊँगा। जब नन्द बाबा के बार बार मनाने के बाद भी नहीं माने तो नन्द बाबा भगवान कृष्ण के ज़िद के सामने हार मान लिए और कहा की ठीक है तुम गायों को ही चराओ लेकिन उससे पहले जाओ पंडित जी को बुलाकर लेकर आओ वो गौ चारण का शुभ मुहूर्त देख कर बता देंगे। भगवान श्री कृष्ण तुरंत दौड़ते हुए पंडित जी के पास गए और उनसे कहा की पंडित जी आपको बाबा ने बुलाया गौ चारण के मुहूर्त देखने के लिए और फिर उन्होंने सारी  बात पंडित जी से बताई और पंडित जी से कहा की आपको मुहूर्त आज का ही बताना है अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं आपको बहुत सारा माखन लाकर देंगे।

भगवान की इस बात पंडित जी मुस्कुराये और फिर उन्होंने कहा ठीक है मैं आज का ही मुहूर्त बताऊंगा। अब पंडित जी नन्द बाबा के घर आ गए और अपना पंचांग खोलकर बार बार अपनी उँगलियों पर कुछ गिनते, इस पर नन्द बाबा ने कहा की पंडित जी आप बार बार अपनी उँगलियों पर क्या गिनती कर रहे है ? पंडित जी नन्द बाबा के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा की क्या बताऊं नन्द जी केवल आज का ही मुहूर्त गौ चारण के लिए शुभ है। नहीं तो फिर अगले 2 सालों तक कोई मुहूर्त नहीं है। तब नन्द बाबा ने सोच विचार करके भगवान श्री कृष्ण को गौ चारण की स्वीकृति दे दी। कहते है न हमारे प्यारे भगवान जिस समय भी कोई कार्य करते है वही समय शुभ हो जाते है। नन्द बाबा के आदेश के बाद उसी दिन से भगवान श्री कृष्ण ने गायों को चराना आरम्भ कर दिया।

जिस दिन भगवान ने गाय चराना प्रारम्भ किया वो दिन गोपा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। अब भगवान श्री कृष्ण गौ चराने के लिए तैयार होने लगते है और मैया यशोदा उनका शृंगार कर रही है। लेकिन जैसे ही मैया यशोदा ने भगवान को उनके पैरों में जूतियां पहनाने लगी तो भगवान बोलते है कि मैया मैं इसको नहीं पहनूंगा और फिर कहते है कि मेरी गैया भी तो जुतें नहीं पहनती तो मैं कैसे पहन लूँ। और तभी जुतें पहनूंगा जब पहले आप सभी गायन को भी जुते पहनाएंगी।उसके बाद से भगवान श्री कृष्ण जब तक वृन्दावन में रहे उन्होंने कभी जुतिया नहीं पहनी और नंगे पैर ही पूरा वृन्दावन के पूरी धरती को पावन करते रहे।  अब भगवान श्री कृष्ण भी अपने सखाओं संग गायों को चराने लगे पाँव ही निकल जाते। अब भगवान जहां गायों को चरा रहे थे वह वन सभी गायों के लिए हरा भरा हो गया है। और अनेक प्रकार के रंग विरंगे फूल पत्तियों वाला हो गया है। आगे आगे सभी गाय और पीछे अपनी मनमोहक बांसुरी बजाते भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी तथा उनके पीछे भगवान श्री कृष्ण के यश गाते ग्वाल बाल थे।और इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण विहार करने के लिए उन्होंने वन में प्रवेश लिया और तभी से भगवान श्री कृष्ण गौ चरण लीला करने लगे।    

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