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श्रीमद भागवत कथा महात्म्य ||

श्रीमद भागवत कथा महात्म्य ||

वेदांतरस की तरफ से भागवत साप्ताहिक कथा में आज हम श्रीमद भागवत कथा के माहात्म्य के बारे में जानेंगे। 

श्रीमद भागवत कथा महात्म्य 

सच्चिदानंदस्वरुप भगवान कृष्ण जो जगत उत्पत्ति स्थित और विनाश के लिये और आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक तीनों प्रकार के तापों के नाश करने वाले है। 

कहा जाता है की जब व्यास जी अनेकों प्रकार के पुराणों तथा महाभारत की रचना करने का बाद भी उनको परितोष नहीं हुआ तो उन्होंने परम पूजनीय श्रीमद भागवत महापुराण की रचना की तब व्यास जी को जाकर शांति मिली। जिसका कारण भगवान श्री कृष्ण थे जो की भागवत महापुराण के कर्णधार है। जो की इस असार संसार सागर से सुख और शांति पूर्वक पार करने के लिए मजबूत नौका के समान है। 

श्रीमद भागवत कथा प्रेम शक्ति नेत्र, और सरल भाव वाले श्री शुकदेव जी के मुख से निकला है और सम्पूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष यह दिव्य ग्रन्थ जन्म और मृत्यु के भय को को समाप्त करता है और हमारे अंदर भक्ति प्रवाह को बढ़ाता है। और भगवान श्री कृष्ण को को प्रसन्न करने का सबसे मुख्य साधन श्रीमद भागवत महापुराण ही है। और भागवत कथा सुनने से हमारा मन तन शुद्ध हो जाता है। 

यह दिव्य भागवत कथा तो देवता लोग को भी बहुत अधिक दुर्लभ है। तभी राजा परीक्षित के दरबार में शुकदेव ने कथा मृत को ही चुना जबकि उनके पास अमृत कलश का भी विकल्प था। और भगवान ब्रह्मा ने सत्यलोक में तराजू को बंधा और साधनों और व्रत, यज्ञ, मूर्तिपूजा तथा आदि को तौला तो सभी साधन तोल में भागवत कथा के सामने हल्के पड़ गए और भागवत महापुराण अपनी महत्व के कारण सबसे भारी रहा। 

जब भगवान श्री कृष्णा जी अपना लीला समाप्त कर अपने श्री धाम जाने को हुए तो सभी भक्तों ने मायूसी स्वर में भगवान से प्रार्थना किया और कहा की हे प्रभु आप चले जायेंगे तो हम सब आप के बिना कैसे अपना जीवन व्यतीत करेंगे। तब भगवान ने कहा की हे भक्त गण मैं कही नहीं जा रहा हूँ इसी भागवत कथा महापुराण में समाया हुआ हूँ और ये दिव्य ग्रन्थ साक्षात् मेरा ही रूप है। 

इस दिव्य पुराण के पढ़ने व सुनने के तत्काल ही ये मोक्ष देने वाला होता है। और इस महान ग्रन्थ को साप्ताहिक विधि से श्रवण करना ही हमें पुण्य और भक्ति का मार्ग प्रदान करता है।

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