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क्यों धारण करते है भगवान श्री कृष्णा मोर का पंख Bhagwan Shri Krishna Mor Ka Pankh Kyu Dharan Karte Hai

क्यों धारण करते है भगवान श्री कृष्णा मोर का पंख Bhagwan Shri Krishna Mor Ka Pankh Kyu Dharan Karte Hai

भक्तों आपने ठाकुर जी के मुकुट मे हमेशा मोर पंख देखा होगा और आपके मान मे ये विचार भी आया ही होगा की ठाकुर जी सदैव मोर पंख ही क्यों  धारण करते हैं ? तो आज हम आपको वेदांतरस के माध्यम से बताने जा रहे हैं की क्यों भगवान श्री कृष्ण जी को मोर मुकुट धारी कहा जाता हैं। और उनका मोर के पंख से क्या सम्बन्ध है, भगवान श्री कृष्ण जी अपने सर पे मोर का पंख लगाए रहते है इसीलिए इनको मोर मुकुट धारी भी कहते है। मोर के पंख को धारण करने की वैसे तो 5 वजह बताई जाती है। तो आईये जानते है की कौन सी वो 5 वजह है। 

 

1. श्री राधा जी की प्रेम निशानी : माना जाता है की महारास लीला के समय श्री राधा जी ने भगवान श्री कृष्ण जी को वैजयंती माला पहनाई थी। कहा जाता है की एक बार श्री राधा जी और भगवान श्री कृष्ण जी साथ में नृत्य कर रहे थे, वहीं उनके साथ एक मोर भी झूम रहा था और नृत्य करते हुए मोर का एक एक पंख वहीं गिर गया और भगवान श्री कृष्ण ने जब पंख को देखा तो उसको उठाकर अपने सर पर धारण कर लिए। जब श्री राधा जी ने यह देखा तो उन्होंने इसका कारण पूछा तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा की जब भी मैं इन मोरों को नृत्य करते हुए देखता हूँ तो इनमें मुझे राधा का प्रेम दिखायीं देता है। यह सुन राधा जी बहुत प्रसन्न हुई और फिर भगवान ने उस पंख को अपने सर पे लगाए रखा और श्री राधा जी ने और भगवान श्री कृष्ण जी फिर से नृत्य करने लगे। 

कहते है राधा जी के यहाँ बहुत सारे मोर थे, और  बचपन से ही माता यशोदा अपने लाडले कृष्ण कन्हैया के सर पर मोर का पंख सजाती थी। 

भगवान श्री कृष्ण के वैजयंती माला के साथ साथ मोर के पंख को धारण करने का एक वजह ये है की ये भगवान कृष्ण और राधा जी के अटूट प्रेम को दर्शाता था। 

 

2. जीवन के रंग : कहते है भगवान श्री कृष्ण जी ने मोर का पंख इसलिए धारण करते थे क्यूंकि मोर के पंख में सभी रंग होते है, और भगवान श्री कृष्णा जी का जीवन कभी एक जैसा नहीं रहा कभी सुख तो कभी दुःख या अनेक प्रकार के उतराव चढ़ाव से  भरा था। और मोरे के पंख में भी सभी रंग थे, वैसे ही जीवन में भी बहुत से रंग है अगर आप दुखी होकर कोई रंग देखेंगे तो आपको सब रंग बेरंग लगेगा। यदि आप प्रसन्न मन से देखेंगे तो आपको यह संसार बहुत ही रंगीन और खूबसूरत दिखेगी बिल्कुल इस मोरे पंख की तरह। 

 

3 ग्रह दोष : बहुत से विद्वानों का मानना है की भगवान श्री कृष्ण जी पर कल सर्प दोष था। और ऐसा मानना है की मोर का पंख लगाने से यह दोष दूर होता है। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण जी मोर का पंख लगते थे। लेकिन सोचने वाली बात ये है की जो खुद सृष्टि के रचयिता है उनको कल सर्प दोष से क्या फर्क पड़ेगा।

 

3. ब्रह्यचर्य का  प्रतीक : कई लोगों का ये मानना है की मोर ब्रह्यचर्य का प्रतीक है क्यूंकि मोर जीवन भर बस एक ही मोरनी के साथ पूरा जीवन बिताते है। और मोरनी का गर्भ धारण मोर के आंसुओं को पीकर होता है अतः इतने पवित्र पक्षी के पंख को भगवान श्री कृष्ण अपने सर पर धारण करते है। 

 

4. शत्रु हो या मित्र सब समान : कुछ लोग का कहना है की भगवान श्री कृष्ण जी मोर पंख को इसलिए अपने सर पर लगते थे क्यूंकि वो सन्देश देना चाहते थे की मित्र हो या शत्रु भगवान श्री कृष्ण के लिए सब एक सामान है। क्यूंकि भगवान श्री कृष्ण जी के भाई शेष नाग जी के अवतार थे, मोर और नाग की तो आपस में बैर है। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण जी मोर का पंख अपन सर पे लगते थे और ये सन्देश देते की उनके हृदय में शत्रु हो या मित्र सबके लिए भाव सामान रूप से ही है।

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