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Radha Krishna Story In Hindi ||  राधा कृष्ण की कहानी।।

Radha Krishna Story In Hindi || राधा कृष्ण की कहानी।।

श्री राधा और भगवान श्री कृष्ण जी की एक और प्यारी सी कहानी एक बार फिर हम अपने वेदांतरस के माध्यम से आप तक लेकर आये है। बात उस वक्त की है जब भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा जी एक वन में खेल रहे थे। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी दोनों वहाँ पर अकेले थे। इस बीच श्री कृष्ण जी ने राधा जी को एक बरगद के पेड़ के पीछे ले जाकर उनकी आँखों को अपनी पीतांबर से बांध कर उनको वही पर खड़े रहने को कहा। और वहाँ से थोड़ी दूर पर एक कदम के वृक्ष के नीचे जाकर श्री राधा जी के लिए एक उपहार तैयार करने लगे। कुछ पल ऐसे व्यतीत हुआ और थोड़ा विलम्ब होने लगा तो राधा जी बरगद के वृक्ष के पीछे से आवाज लगायी की वो अब थोड़ी भी देर नहीं खड़ी हो सकती और बोली की मेरी ऑंखें दर्द कर रही है। तो इसपर भगवान श्री कृष्ण थोड़ा सा मुस्कुराये और वहीं कदम के वृक्ष के नीचे से जवाब दिया कि राधे बस कुछ पल के लिए आप प्रतीक्षा कीजिये। उसके बाद राधा जी वहीं आँख बंद करके प्रतीक्षा करती रहती है।

Radha Krishna

और यहाँ श्री कृष्ण जी जल्दी जल्दी अपना काम पूरा करने लगते है और जल्द ही श्री कृष्ण जी काम पूरा करके श्री राधा जी के पास गए और श्री कृष्ण ने अपनी हाथों से श्री राधा जी की आँखों से पीताम्बर हटाया और फिर उनको अपना उपहार दिखाने के लिए श्री राधा जी को कदम के वृक्ष के नीचे ले गए। वहाँ पर पहुंच कर राधा जी वो खूबसूरत उपहार देखकर बहुत प्रसन्न हुई। श्री राधा जी ने जब देखा एक विशाल फूलों से सजा हुआ झूला देखा तो वो एक छोटी बच्ची की भाँति हँसते हुए उस झूले से जा लिपटी। भगवान श्री कृष्ण ने बड़ी लगन से ये उपहार श्री राधे के लिए तैयार किया था। फिर राधा जी उस झूले पर बैठ कर श्री कृष्ण जी से बोलती है कान्हा पीछे से थोड़ा झूले को धक्का लगा दो। फिर श्री कृष्ण प्रसन्न मन से झूले को पीछे से धक्का लगाने लगते है। और श्री कृष्ण जी ने इस प्रकार झूले को यमुना जी के तट पर बनाया था की जितनी बार श्री कृष्ण जी झूले को धक्का लगाते है और राधा जी जब आगे की ओर जाती या पीछे की ओर आती तो राधा जी कोमल चरण यमुना जी निर्मल लहरों को छूटे हुए निकल जाती । ऐसे ही कुछ वक्त चलता रहा फिर अचानक से श्री राधा जी की नज़र उस झूले में लगी एक श्वेत फूल पर जा पड़ी और उस पुष्प को देखते ही श्री राधा जी बहुत अधिक प्रसन्न हो कर श्री कृष्ण जी से कहती है की हे कान्हा ये पुष्प तो हमारे व्रज में तो नहीं है तो आप इस पुष्प को कहाँ से लेकर आये ? 

इस बात भगवान श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए बोले की मैं ये त्रेतायुग से लाया था। त्रेतायुग ? ये सुन कर राधा जी को आश्चर्य हुआ और फिर पूछी की त्रेतायुग से कैसे ? फिर श्री कृष्ण जी ने झूला रोक कर और राधा जी के बगल में जाकर बैठ गए। और फिर श्री कृष्ण प्रेम के आंसू अपने आँखों में लिए राधा जी को बताते है की हाँ राधे त्रेतायुग से लाया हूँ, जब मैंने पहली बार तुम्हें देखा था तो तुम पुष्प वाटिका में थी। पहली बार तुम्हें देखते ही राधे मुझे तुम्हें उसी पल एक अपने हाथों से बनाया हुआ पुष्प से निर्मित झूला देने को मन किया। परन्तु उस समय मैं रामावतार में था और मर्यादा पुरुषोत्तम होने की वजह से अपनी वो प्यारी सी इच्छा पूरी न कर सका। लेकिन मैंने आज के इसी खूबसूरत दिन के लिए उस वक्त कुछ श्वेत पुष्प अपने पास संभालकर  रख लिए थे। और आज जब समय आया तो मैंने अपनी वर्षों की इच्छा पूरी कर तुम्हें ये प्यारा सा उपहार देना चाहा और मेरी यह इच्छा पूरी भी हुई। यह सुनकर राधा जी की आँखें ख़ुशी के मारे नम हो गयी, और उन्होंने श्री कृष्ण जी के कोमल हाथों चूम लिया। उसके बाद भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा जी दोनों एक साथ झूले पर बैठकर झूले का आनंद लेने लगे।। 

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