एक बार फिर हम यानि आपके वेदांत रस के माध्यम से एक ऐसी मनमोहक कथा लेकर आए है, जिसको पढ़ आप सभी का ह्रदय भी प्रफुल्लित हो उठेगा। जी हाँ, यहाँ पर बात हो रही है उस दिव्य स्थल की जहाँ पर भगवान विष्णु जी ने बिना किसी के जानकारी के एक गुप्त तपस्या की थी, हम बात कर रहे सरयू नदी के किनारे स्थित पवित्र गुप्तार घाट। यह वही पवित्र स्थल है जहाँ भगवान विष्णु ने प्रभु श्रीराम जी के रूप में अवतार ले कर गुप्त रूप से तपस्या की थी और अंततः इसी पवित्र स्थल पर आकर जल समाधि भी ले लिया था।
सरयू नदी के तट पर स्थित गुप्तार घाट पर कई छोटे छोटे मंदिर है, जिनके दर्शन मात्र से ही भक्तो को आनंद की प्राप्ति होती है। इस दिव्य स्थल पर श्रद्धालु मुक्ति पाने की इच्छा लेकर यहाँ आते है। यह पवित्र स्थल सिर्फ धार्मिक लोगो को ही नहीं बल्कि यहाँ का मनमोहक दृश्य पर्यटकों को भी अपने ओर आकर्षित कर लेता है।
जब भी श्री राम की नगरी अयोध्या का नाम लिया जाता है, तो स्वतः ही हमारे मन मस्तिक में भगवान श्री राम की जन्मस्थली की छवि बन जाती है। यह वहीं नगरी है, जहाँ प्रभु श्री राम अपनी बाल लीलायें किया करते थे। वैसे तो प्रभु श्री राम की इस नगरी में अनेक पवित्र व दर्शनीय स्थान है, लेकिन राम नगरी अयोध्या के गुप्तार घाट का महत्व ही कुछ ओर है। इस पवित्र घाट का निर्माण राजा दर्शन सिंह जी ने 19वीं शताब्दी में करवाया था। इस घाट पर दिव्य राम जानकी मंदिर, पवित्र पुराने चरण पादुका मंदिर, भगवान नरसिंह जी का मंदिर और भगवान हनुमान जी का मंदिर स्थित है, जो की यहाँ आने वाले भक्तों का आकर्षक केंद्र है। यहाँ पर दिव्य मंदिरो के अलावा यहाँ का नौका विहार और रेतीले मैदान के साथ-साथ इसके आस पास की हरियाली यहाँ आने वाले पर्यटकों की मन मोह लेता है। यहाँ बक्सर युद्ध के विजेता और समय के तत्कालीन नवाब शुजा-उद-दौला ने एक ऐतिहासिक किला का निर्माण कराया था, यह ऐतिहासिक किला भी गुप्तार घाट से थोड़ी दूरी पर स्थित है। और पर्यटक जब गुप्तार घाट पर आते है तो इस ऐतिहासिक जगह को देखने ज़रुर जाते है।
उम्मीद करते है आज वेदांत रस के माध्यम से आपको श्री राम जन्मभूमि अयोध्या नगरी में स्थित एक प्रचलित स्थान के बारे में ज्ञात हुआ। जब भी आपको अयोध्या नगरी के दर्शन करने का सौभाग्य मिले तो सरयू नदी के किनारे स्थित गुप्तार घाट का दर्शन अवश्य करे।
|| जय श्री राम ||