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Krishna Story In Hindi श्री कृष्णा जी की कहानी

Krishna Story In Hindi श्री कृष्णा जी की कहानी

भक्तो आपने श्री कृष्ण की लीलाओ की अनेक कहानियाँ सुनी होगी, आज हम आपको श्री कृष्ण की एक ओर लीला श्रवण करते हैं। एक समय की बात हैं..एक राजा हुआ करता था, उसके राज्य मे धन - वैभव किसी भी चीज की कमी नहीं थी.. वह सुबह - सुबह रोज़ भगवान के मंदिर जाया करता था, उसका धन्यवाद किया करता था।एक दिन की बात हैं राजा रोज़ की तरह मंदिर गया, लेकिन आज उसका ध्यान मंदिर की सीढ़ी पर बैठे २ भिखारियों पर गया। एक बायीं ओर बैठा रहता था, तो वही दूसरा भिखारी दायीं ओर बैठता था...जब भी राजा वहाँ से गुजरता तो दायीं तरफ वाला भिखारी हमेशा यही बोलता की " हे भगवान! तूने इस राजा को इतना कुछ दिया है, थोड़ा बहुत मुझे भी दे दे। " जबकि वही दूसरी ओर बैठा भिखारी जो की बायीं ओर बैठा रहता था, वो जब भी राजा को वहाँ से गुजरता हुआ देखता वो राजा से बोलता की " हे राजन! भगवान ने आपको इतना सब कुछ दिया है, तो आप भी मुझे कुछ देकर मेरा भी भला करो।" यह प्रक्रिया काफी दिनों तक चलती रही.. राजा जब भी गुज़रता दोनो भिखारी अपनी अपनी तरीके से भिक्षा मांगते...  एक दिन दोनो भिखारियों के बीच वार्तालाप हो रहा था और बातों बातों मे बायीं तरफ वाले भिखारी ने दूसरे भिखारी से पूछा की " तू भगवान से को मांगता है तुझे देना वाला तो ये राजा हैं भगवान नहीं "दूसरा भिखारी मुस्कुराया ओर कहा की "अगर उस परमात्मा की इच्छा हो तो वो रंक को भी राजा बना सकता हैं।"

 Lord Krishna

ऐसे ही एक दिन राजा ने अपने मंत्री को बुला कर उससे ये सारी बात बताई और बोलता है "की एक भिखारी हमेशा भगवान से ही मांगता है, ओर वही बायीं तरफ़ बैठा दूसरी भिखारी हमेशा मुझसे ही मांगता रहता है।" राजा कहता हैं " मंत्री! अब तुम ही बताओ मुझे किसकी अधिक सहायता करनी चाहिए। "मंत्री ने कहा की " महाराज! मेरी अनुसार जो भिखारी आपसे भिक्षा मांगता हैं आपको उसकी सहायता करनी चाहिए।"राजा ने मंत्री से कहा की " तुम एक काम करो की एक खीर से भरा हुआ एक बड़ा सा बर्तन ले लो और उसमे स्वर्ण की कुछ सिक्के डाल कर उस बायीं ओर बैठने वाले भिखारी को दे दो।" अगली सुबह राजा ने जैसा कहा था की बायीं ओर वाली भिखारी को खीर से भरे बर्तन में स्वर्ण की मुद्रा डाल कर उसे दे देने को। मंत्री ने ठीक वैसा किया, खीर पाकर वह भिखारी बहुत प्रसन्न हुआ और राजा का धन्यवाद करने लगा। तभी वह भिखारी दायीं ओर बैठे भिखारी को बोला की भगवान से नहीं इंसान से मांगो...यह कह कर वह बड़े मजे के साथ खीर खाने लगा। वह खीर का बर्तन इतना विशाल था की उसका पेट भर गया लेकिन वह खीर खत्म नही हुई...उसने दूसरे भिखारी के साथ खीर बंट के खाने का निर्णय लिया ओर वह स्वर्ण रजत से भरा बर्तन उसने दूसरे बिखरी को दे दिया। अगली सुबह हुई राजा फिर मंदिर गया लेकिन वहां पर जाकर राजा आश्चर्य चकित रह गए क्यूंकि वहां पर बायीं तरफ वाला भिखारी तो वैसे ही बैठा था, लेकिन दायीं तरफ वाला भिखारी आज वह देख ही नहीं.. तब राजा ने उस भिखारी से पूछता है की " तुम्हे वह खीर वाला बर्तन मिला जो मैंने कल आपने मंत्री के हाथो भिजवाया थी.. "भिखारी ने कहा की "जी हुजूर! मिला था और खीर बहुत ही स्वादिष्ट थी, मैंने खूब पेट भर कर खाई"राजा ने फिर से पूछा की " वह खीर का बर्तन कहा हैं..?" तो भिखारी बोला की " जब मेरा पेट भर गया तो मैंने दूसरी भिखारी को वह बर्तन दे दिया"यह बात सुन राजा मुस्कुराये और मन ही मन सोचने लगे की " जब देने वाला साक्षात परमात्मा हो तो उसके भाग्य को उदय होने से कौन रोक सकता हैं भला, हम मनुष्य तो केवल मध्यम हैं.. सब का पालनहार तो सबसे ऊपर विराजमान हैं ... "

 

|| राधे राधे ||

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