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 नर्मदेश्वर शिवलिंग  Narmadeshwar Shivling

नर्मदेश्वर शिवलिंग Narmadeshwar Shivling

हम सब ने शिवलिंग को तो जानते हैं और शिवलिंग की महाशक्तियों से भली भांति परिचित हैं। ऐसे ही एक और शिवलिंग के महाशक्तियों के बारे में वेदांतरस के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं। 

Narmadeshwar Shivling

 

हम बात कर रहे हैं सबसे शक्तिशाली शिवलिंग जो की नर्मदा नदी से निकला था, इस शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग भी कहते हैं। इस शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहने की वजह यह है की इसकी प्राप्ति नर्मदा नदी से हुई है तो इसीलिए इस शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते है। सबसे शक्तिशाली शिवलिंग यानि की नर्मदेश्वर शिवलिंग से जुड़ी एक बहुत सुप्रसिद्ध धार्मिक कथा जुड़ी हुई है। हमारे देश भारतवर्ष की चार सबसे सर्वश्रेष्ठ नदियाँ गंगा, यमुना, सरस्वती और नर्मदा जी हैं। और इनमें भी सबसे सर्वश्रेष्ठ गंगा नदी मानी जाती है। कहा जाता है की प्राचीनकाल में नर्मदा जी ने बहुत वर्षों तक तपस्या करने के पश्चात् ब्रह्मा जी  को प्रसन्न किया और फिर प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने नर्मदा जी से कोई वरदान मांगने को कहा तो नर्मदा जी ने कहा की हे ब्रह्मा जी अगर आप मेरी तपस्या से प्रसन्न हुए हैं तो कृपा करके मुझे एक ये वरदान दो की मैं भी गंगा जी के सामान हो जाऊं। तो इस बात पर ब्रह्मा जी थोड़ा मुस्कुराकर कर बोले की अगर कोई दूसरा भगवान भगवान शिव के सामान हो जाए अथवा कोई दूसरी नारी पार्वती जी की बराबरी कर ले या कोई दूसरा पुरुष श्री विष्णु जी के सामान हो जाये और अगर कोई नगरी काशी नगरी के सामान हो सकती है तो फिर कोई दूसरी नदी भी सर्वश्रेष्ठ गंगा जी के सामान हो जाएगी। जब नर्मदा जी ने ब्रह्मा जी के मुख से ये बात सुनी तो उन्होंने तुरंत ब्रह्मा जी के वर का त्याग करके वहाँ से काशी के लिए चली गयी। वहाँ जाकर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए वहां पर पिलपिला तीर्थ में एक शिवलिंग की स्थापना करके तपस्या करने लगी। फिर कुछ वर्षों के पश्चात नर्मदा जी के तप से भगवान भोलेनाथ जी प्रसन्न हुए और उनके सामने प्रकट होकर नर्मदा जी से  कोई वरदान मांगने के लिए कहा। तो इस पर नर्मदा जी बोली की हे भगवान कोई तुच्छ सा वरदान मांगने पर मेरा क्या भला होगा मैं सिर्फ यह चाहती हूँ की  आप मुझे अपने कमल सामान चरणों में जगह दे और मेरी भक्ति ऐसे ही बनी रही। नर्मदा जी के बातों को सुनकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और बोले हे नर्मदा तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर है सब मेरे वरदान से शिवलिंग बन जाये। और फिर उसके आगे भगवान शंकर ने कहा की अगर कोई गंगा में स्नान करता है तो उसका तुरंत सही पाप धूल जाते है, और अगर कोई यमुना जी सात दिन स्नान करता है तो  पाप कटता है और सरस्वती जी में 3 दिन स्नान करने से पाप कटते है, परन्तु तुम्हारे दर्शन मात्र से लोगों के सभी पाप धूल जाएंगे। और उसके बाद में भगवान शंकर ने कहा की जो तुमने नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की है, उसे देख कर लोगों पुण्य मिलेगा और मोक्ष की प्राप्ति होगी ये सब सुनकर नर्मदा जी बहुत प्रसन्न हो गयी। आपने ज़रूर सुना होगा "नर्मदा का हर कंकर है शंकर" 

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