जैसा की आप सभी जानते हैं की राधा जी और श्री कृष्णा जी का प्रेम कहानी अमर है। जब भी जहाँ भी प्रेम की बात आती है तो वहां पर राधा और श्री कृष्णा जी का नाम ज़रूर आता है। राधा जी ने और श्री कृष्णा जी ने एक दूसरे से बिना किसी स्वार्थ के प्रेम किया। तभी तो जब भी श्री कृष्णा जी का नाम आता है तो उनके साथ राधा जी का नाम ज़रूर जोड़ा जाता है। कभी भी किसी ने श्री कृष्णा जी के साथ रुक्मणी जी का नाम नहीं लिया जाता। वो भी तो थी जो श्री कृष्णा जी से ह्रदय की अनंत गहराइयों से प्रेम करती थी। लेकिन फिर भी लोग श्री कृष्णा जी के साथ राधा जी का ही नाम लेते है। आइये जानते है श्री कृष्णा जी और राधा जी की कुछ कहानियां जो आपको हो सकता है ना पता हो।
.. क्या आप जानते है श्री कृष्णा जी राधा जी से 5 वर्ष छोटे थे? जी हाँ कुछ अन्य कथाओं की माने तो श्री कृष्ण जी राधा जी से 5 वर्ष छोटे थे। कहा जाता है की जब राधा जी ने श्री कृष्णा जी को पहली बार देखा था तो माता यशोदा जी ने उनको बांध के रखा था, और जब राधा जी श्री कृष्णा जी को पहली बार देखी तो राधा जी बिलकुल स्तब्ध रह गयी और श्री कृष्ण जी को देखते ही श्री कृष्ण जी से प्रेम कर बैठी। मानो उनको ऐसा प्रतीत हुआ की उनका और श्री कृष्ण जी किसी पूर्व जन्म से रिश्ता है। कुछ विद्वानों की माने तो राधा जी पहली बार गोकुल अपने पिता जी के साथ आयी थी उनके पिता जी का नाम वृष भानु जी था। जब वो अपने पिता जी के साथ आयी तब राधा जी ने श्री कृष्णा जी को पहली बार देखा तो वही कुछ विद्वानों का कहना है की राधा जी और श्री कृष्णा जी की पहली मुलाकात संकेत तीर्थ पर हुई थी। लेकिन जब राधा जी श्री कृष्णा जी को देखी पहली बार तो वो बिलकुल उनके प्रेम में लीन सी हो गयी थी और जब हमारे श्री कृष्णा जी ने भी जब राधा जी को देखा तो वो भी बेसुध रह गए और वो भी राधा जी के प्रेम में पड़ गए और दोनों में एक दूसरे से गहरा प्रेम हो गया था।
अगर ब्रह्म वैवर्त पुराण प्रकृति के खंड 48 की माने तो और गर्ग संहिता जो की यदुवंशियों के कुलगुरु द्वारा लिखा गया है इनके अनुसार एक बार श्री कृष्णा जी और नन्द बाबा जी बाजार घूमने निकले थे तो उसी समय वृष भानु जी जो की राधा जी के पिता है और राधा जी भी वहां जा पहुंचे और उसी दौरान श्री कृष्णा जी और राधा जी की पहली मुलाकात हुई। माना जाता है की उस समय उन दोनों की उम्र बहुत छोटी थी जहाँ पर ये दोनों मिले थे उसी जगह सांकेतिक तीर्थ स्थान कहते है इसका मतलब होता है की पहले से निर्देशित जगह। माना जाता है की श्री कृष्णा जी और राधा जी ने पिछले जन्म में ही यहाँ पर मिलने की बात कर ली थी अगर गर्ग संहिता की माने तो ब्रह्मा जी ने स्वयं श्री कृष्णा जी और राधा जी का विवाह किसी एक जंगल में गन्धर्व विवाह करा दिया था, यहाँ पर राधा जन्माष्टमी (राधा जी के जन्म) के दिन से लेकर अनंत चतुर्दशी तक मेला लगा रहता है।