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कौन है  kakbhushundi ? जानिए उनका रहस्य |

कौन है kakbhushundi ? जानिए उनका रहस्य |

अयोध्या में रत्न सिंहासन मंदिर से 50 मीटर आगे जाने पे काकभुशुण्डि जी का एक प्राचीन मंदिर है। रामजन्मभूमि अयोध्या में केवल एक ही काकभुशुण्डि जी का मंदिर है। यहाँ गर्भगृह में राम दरबार के साथ कौवे के रूप में काकभुशुण्डि जी कि पूजा कि जाती है। 

 कौन है  kakbhushundi ? जानिए उनका रहस्य |

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार सर्वप्रथम राम जी की कथा भगवान शंकर ने माँ पार्वती को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया था उसी कौवे का पुनर्जन्म काकभुशुण्डि जी के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि जी को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के श्रीमुख से सुनी वह रामकथा इस जन्म में भी स्मरण थी, उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार से रामकथा का प्रचार और प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली श्री राम की यह पवित्र कथा "अध्यात्म रामायण " के नाम से विख्यात हुई।  

 

काकभुशुण्डि जी लोमेश ऋषि के श्राप के कारण कौवा बन गए थे। लोमेश ऋषि के श्राप से मुक्त होने के लिए उन्हें राम मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान दिया। काकभुशुण्डि जी का लगभग जीवन कौवे के रूप में बीता। मान्यताओं के अनुसार वाल्मीकि जी से पहले काकभुशुण्डि ने सम्पूर्ण रामकथा गिद्धराज गरुड़ को सुना दी थी।

 

लंका युद्ध में जब मेघनाद ने प्रभु श्री राम से युद्ध करते हुए श्रीराम को नागपाश से बाँध दिया था, तब देवर्षि नारद के कहने पर गिद्धराज गरुड़ ने नागपाश के समस्त नागो को खाकर श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त कर दिया था। भगवान राम के इस तरह नागपश में बंध जाने पर प्रभु श्रीराम के भगवान होने पर गरुड़ देव को संदेह हो गया। गरुड़ जी का संदेह दूर करने के लिए देवर्षि नारद उन्हें ब्रह्मा जी के पास भेज देते है। ब्रह्मा जी उन्हें शंकर जी के पास भेज देते है। भगवान शंकर ने भी गरुड़ को उनका संदेह मिटाने के लिए काकभुशुण्डि के पास भेज दिय। अंत में काकभुशुण्डि जी ने राम के चरित्र की पवित्र कथा सुनाकर गरुड़ जी का संदेह दूर किया। 

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