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Shri Kaliram ji Mandir, Ayodhya : वर्ष में केवल 2 दिन होते है, खुले विग्रह के दर्शन |

Shri Kaliram ji Mandir, Ayodhya : वर्ष में केवल 2 दिन होते है, खुले विग्रह के दर्शन |

Shri Kaliram ji Mandir, Ayodhya : वर्ष में केवल 2 दिन होते है, खुले विग्रह के दर्शन |

राम नगरी, अयोध्या सप्तपुरियों में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। भगवान श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण यह नगरी सम्पूर्ण विश्व में आस्था और श्रद्धा का केंद्र बन चुकी है। अयोध्या में हिन्दू धर्म के लोगो ही नहीं, यहाँ पर बौद्ध धर्म, जैन धर्म, मुस्लिम धर्म के लोगो का सम्मिलन है। तो वही दक्षिण दिशा में महाराष्ट्रियन परंपरा के मंदिर भी अयोध्या में स्थित है, जिनकी अपनी अलग ही महत्ता है। महाराष्ट्रियन परम्परा का ऐसा ही एक मंदिर नागेश्वरनाथ मंदिर है जो की नए घाट के पास स्तिथ है, जिसे कालेराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के व्यस्थापक यशवंत दिगंबर देश पांडेय जी मंदिर की महत्ता बताते हुए कहते है, कि मंदिरो कि नगरी श्री अयोध्या जी वर्तमान स्वरुप में हम जिसका दर्शन करते है। वह आज से 2058 वर्ष पूर्व महाराज वीर विक्रमादित्य ने 5 फूल मंदिरो की स्थापना कर बसाई है। यह मंदिर 84 कसौटी के स्तम्भों पर निर्मित 7 कलशो वाला अयोध्या जी के प्रथम मंदिरो में से एक था । 

दुर्भाग्यवश सन 1528 ई में मुगलकाल में बाबर बादशाही के समय इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। उस समय अपने प्राणप्रिय प्रभु को मुगलो की कुदृष्टि से बचाने हेतु श्री राम पंचायतन विग्रह को सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया था। कालांतर में अयोध्या के राजादर्शन सिंह के समय में सन 1748 में यही रामपंचायतन दक्षिण भारत के महाराष्ट्रियन ब्राह्मण योगी पंडित श्री नरसिंह राव मोघे को दृष्टान्त द्वारा प्राप्त है। श्री पांडेय जी बतात्ते है कि उपरोक्त स्वप्न आदेश के अनुसार श्री राम जन्मभूमि के पंचायतन विग्रह की प्राप्ति ब्राह्मण योगी को सहस्त्र धारा लक्ष्मणघाट पर स्नान करते समय सरयू नदी में हुए । जिसे उन्होंने सुप्रसिद्ध नागेश्वरनाथ के सानिध्य में स्थापना की जो आज श्री काले राम मंदिर ट्रस्ट के नाम से प्रसिद्ध है एवं धर्मप्राण हिन्दू जनता का नित्य दर्शनीय आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है। 

व्यस्थापक जी के अनुसार यह मंदिर श्री अयोध्या के सिद्धस्थानो में प्रसिद्ध है हज़ारो रामभक्त नित्य दर्शन एवं उपासना कर अपनी मनौतियों को पूर्ण करते है। इस मंदिर की विशेषता यह की यहाँ सम्पूर्ण रामपंचायत एक ही शिलाग्राम शिला में है, जो अन्यत्र दुर्लभ है। मध्य में रामजी, उनके वामांग में किशोरी जी, उनके वामांग में भरतलाल जी के दक्षिण में लक्ष्मण जी, उनके दक्षिण शत्रुहनलाल जी, श्रीरामपंचायतन राज्याभिषेक का दर्शन है। लखन जी के हाथ में छत्र का दण्ड है, शत्रुहनलाल जी के हाथ में चंवर एवं भरतलाल जी के हाथ में पंखा, श्री चरणों में सेवाभाव में दक्षिण मुखी हनुमान जी महाराज विराजमान है। खुले विग्रह के दर्शन केवल 2 ही दिन होते है संवत्सर का प्रथम दिन एवं रामनवमी के दिन। 

 

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