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Ayodhya : कब और किसने बसाई थी यह धर्म नगरी  |

Ayodhya : कब और किसने बसाई थी यह धर्म नगरी |

 

मेरे मत में अयोध्या मात्र एक नगर ही नही है। अयोध्या भूत,वर्तमान और भविष्य सभी में इस धरा पर धर्म अर्थ राजनीति सभी का केंद्र है। अयोध्या जीवन है ,अयोध्या एक सभ्यता है,एक संस्कृति है अयोध्या, हमारे दैनिक जीवन का मूल है अयोध्या और इस अयोध्या को महान ओर सर्वश्रेष्ठ  बनाने वाले प्रभु श्री राम है। जिन्होंने इस सरयू के तट पर बसी इस अलौकिक नगरी अयोध्या की महारानी कौसल्या के गर्भ से जन्म लिया और ये अयोध्या तभी से अयोध्यापुरी हो गई।  पवित्र अयोध्या की भूमि ने अनेक महान राजाओ को जन्म दिया। उनमे से एक महान राजा भगीरथ हुए जिनके तप और त्याग से गंगा माँ धरती पर अवतरित हुई। सत्यवादी राजा हरीशचंद हुए जिनके सत्य के आगे देवता भी हार गए। अयोध्या ने जैन धर्म के पाँच तीर्थंकरो की जन्मस्थली भी है जिसमे से प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी हुए। ऐसे अनेक महान राजाओ - महाराजाओ एवं तपस्वियों की भूमि है अयोध्या। इसी अयोध्या में भगवान बुद्ध ने 16 वर्ष बिताये। यह अयोध्या अनेक धर्मो की सृजन भूमि है। 

 

 

नामकरण  

अयोध्या के नामकरण के बारे में एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि मनु ने अयोध्या में नगरी बसा कर अपने ज्येष्ठ पुत्र इश्वाकु  को दे दी। इश्वाकु के बाद अपने पुत्र विकुक्षि  को अयोध्या का राजा बनाया गया। विकुक्षि का एक नाम और था जो कि "अयोध" था, और विद्वानों कि सुनी जाये तो इन्ही के नाम के कारण इस नगरी का नाम अयोध्या पड़ा। 

अयोध्या के नामकरण के पीछे एक और कथा भी है। अयोध्या जिसे अवध, साकेत, और विनीत भी कहते है,ये अत्यंत प्राचीन नगर है। इसे विभिन ऐतिहासिक कालो में भिन - भिन  नामो से अभिहित किया जाता रहा है।  प्राचीन समय से लेकर महाकाव्य काल तक अयोध्या वृहद् कोसल राज्य की राजधानी रही है। अपेक्षाकृत पूर्व में स्तिथ होने के कारण कोसल का राज्य उन बाहर। 

आक्रमणकारियों से बचा रहा, जो पश्चिम राज्यों पर प्रायः होते थे। बाहरी आक्रमणकारियों को कोसल की ओर से बढ़ने का साहस नहीं हुआ, संभव है कि इसी कारण से इस राजधानी का नाम अयोध्या अर्थात अजेय या अवध पड़ा। स्कन्द पुराण में अयोध्या शब्द के महाकाव्य का वर्णन अधेलिखित है -

अकरो ब्रह्मा च प्रोक्त्तं यकरो विष्णुरुच्यते। धाकरो रुद्रोपश्च अयोध्यानाम राजते।। 

अर्थात ' अयोध्या ' में 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु तथा 'ध'  कार रूद्र का स्वरुप है। अतएव अयोध्या त्रिदेवो - ब्रह्मा, विष्णु, महेश का समविन्त रूप है।  शिव सहिंता में अयोध्या के अनेक नाम बताए गए है - नंदिनी, सत्य, साकेत, कोसला, राजधानी, ब्रह्मपुरी, और अपराजिता। सरयू के तट पर बसी अयोध्या को अष्टदल कमल के आकार का बताया गया है। पुराणों में भी अयोध्या के नाम का उल्लेख मिलता है। पुराणों में सप्तपुरियों के अयोध्या का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है,इससे अनुमान लगाया जा जाता है की यह सप्तपुरियों में श्रेष्ठ है 

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