इश्वाकु वंश के गुरु वशिष्ठ जी थे जिन्होंने प्रभु श्री राम की वंशावली का वर्णन कुछ इस प्रकार से किया है।
ब्रह्मा जी के 10 मानस पुत्र में से एक मरीचि हुए। मरीचि के पुत्र कश्यप जी थे। कश्यप के पुत्र विवस्वान हुए, विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए औअर वैवस्वत मनु के दस {१०}पुत्र थे :-
- इल
- इश्वाकु
- कुशनाम
- अरिष्ट
- धृष्ट
- नरिष्यन्त
- करुष
- महाबली
- शर्याति
- पृषध
राजा इक्ष्वाकु के कुल में जैन और हिन्दू धर्म के महान तीर्थंकर, भगवान,चक्रवर्ती राजाओ, साधु महात्मा और सृजनकारों का जन्म हुआ है। इन्ही में राजा इक्ष्वाकु ने अयोध्या को बसाया और उसे अपनी राजधानी बनाई एवं यही से इक्ष्वाकु वंश प्रारंभ हुआ..
इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि थे।
कुक्षि के पुत्र का नाम विक्षुकि था।
विक्षुकि के पुत्र बाण
बाण के पुत्र अनरण्य हुये
अनरण्य से पृथु
पृथु से त्रिंशुक का जन्म हुआ था
त्रिंशुक के पुत्र धुन्धुमार
धुन्धुमार के पुत्र युवनाश्व हुए
युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुये
मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ
सुसन्धि के दो पुत्र हुए - ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित।
ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए
भरत के पुत्र असित हुये
असित के पुत्र सगर हुये
सगर के पुत्र का नाम असमञ्ज
असमञ्ज के पुत्र अंशुमान
अंशुमान के पुत्र दिलीप हुये
दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए
भगीरथ के पुत्र ककुसत्थ
ककुसत्थ के पुत्र रघु हुये।
रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुये
प्रवृद्ध के पुत्र शंखण
शंखण के पुत्र सुदर्शन हुये
सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्ण
अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग
श्रीघ्रग के पुत्र मरू
मरू के पुत्र प्रशुश्रुक
प्रशुश्रुक के पुत्र अम्ब्रीश
अम्ब्रीश के पुत्र नहुष
नहुष के पुत्र ययाति
ययाति के पुत्र नागभाग
नागभाग के पुत्र का नाम अज
अज के पुत्र दशरथ
राजा दसरथ के चार पुत्र हुए श्री रामचंद्र जी, भरत,लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न
श्री रामचंद्र जी के दो पुत्र हुए लव और कुश।
|| जय श्री राम ||