महात्मा बुद्ध एक गांव से गुजर रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उन्हें सड़क पर घेर लिया और अपमानित करने लगे।
बुद्ध सुनते रहे, और जब वे सुनते-सुनते थक गए, तो उन्होंने कहा, "यदि आप इन सब बातों को कह कर संतुष्ट हो गए हैं, तो क्या मैं जा सकता हूँ?"
वहाँ के लोग बहुत हैरान हुए, बोले, “हमने तुम्हें बहुत गाली दी है, तुम गुस्सा क्यों नहीं हो जाते?” बुद्ध ने कहा - "आप मुझे गाली दे सकते हैं, लेकिन मैं गालियां नहीं ले सकता। जब मैं पहली बार दूसरे गाँव गया, तो वहाँ के लोग मेरे लिए मीठी मिठाइयाँ लाए लेकिन मैंने नहीं ली क्योंकि मुझे भूख नहीं थी। वे उन्हें वापस ले गए।"
बुद्ध थोड़ा रुके और फिर पूछा - "उन मिठाइयों का क्या हुआ होगा?" एक व्यक्ति ने कहा, "यह उनके बच्चों, परिवार और प्रियजनों के बीच वितरित किया जाएगा।" बुद्ध फिर मुस्कुराए और बोले, "आपने जो गाली दी है, मैंने उसे नहीं लिया। क्या आप उन्हें अपने परिवार और प्रियजनों में बांटेंगे?"
बुद्ध के सभी विरोधी लज्जित हो गए और तभी से वे बुद्ध के शिष्य बन गए।
* धैर्य और सहनशीलता से आप किसी का भी दिल जीत सकते हैं।