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भगवान शिव के प्यारे नंदी

भगवान शिव के प्यारे नंदी

आज हम वेदांतरस के माध्यम से आपको बताने जा रहे है भगवान शिव के प्यारे नंदी के बारे में |

"नंदी को अनंत प्रतीक्षा का प्रतीक माना जाना जाता है। हमारे भारतीय संस्कृति में इंतजार को सबसे बड़ा गुण माना गया है। और नंदी बस चुपचाप बैठकर इंतजार करना जानता है, वह कुदरती तौर पर ध्यानमग्न हो सकता है।" नंदी को ऐसी उम्मीद नहीं है कि शिव कल आ जाएंगे। वह किसी चीज का अंदाजा नहीं लगाता या उम्मीद नहीं करता। 

वह बस इंतजार करता है। वह हमेशा इंतजार करेगा। यह गुण ग्रहण शीलता का मूल तत्व है। नंदी शिव का सबसे करीबी साथी है क्योंकि उसमें ग्रहणशीलता का गुण है। किसी मंदिर में जाने के लिए  आपके अंदर नंदी का गुण होना चाहिए। ताकि आप बस बैठ सकें। 

इस गुण के होने का मतलब है आप स्वर्ग जाने की कोशिश नहीं करेंगे, आप यह या वह पाने की कोशिश नहीं करेंगे आप बस वहां बैठेंगे। लोगों को हमेशा से यह गलतफहमी रही है कि ध्यान किसी तरह की क्रिया है। नहीं यह एक गुण है। यही बुनियादी अंतर है। प्रार्थना का मतलब है कि आप भगवान से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। 

ध्यान का मतलब है कि आप भगवान की बात सुनना चाहते हैं। आप बस अस्तित्व को, सृष्टि की परम प्रकृति को सुनना चाहते हैं। आपके पास कहने के लिए कुछ नहीं है, आप बस सुनते हैं। नंदी का गुण यही है, वह बस सजग होकर बैठा रहता है। यह बहुत अहम चीज है । वह सजग है, सुस्त नहीं है। वह आलसी की तरह नहीं बैठा है। वह पूरी तरह सक्रिय, पूरी सजगता से, जीवन से भरपूर बैठा है, ध्यान यही है।

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